मेरी आस्थाओं के कत्ल के मुकदमे की सुनवाई
जिस जगह हो रही थी
वहां एक कौम
अपने इतिहास के हाथों
लहुलुहान अपनी ही किस्मत को रो रही थी
और में चुप था
क्योंकि वहाँ पर सन्नाटा था, ख़ामोशी थी
और अंधेरा बडा ही घुप्प था
और वो आत्महत्या के नवीन संस्करण थे
उनकी आँखों में सपने थे
मगर,उनकी बातों में सेल्फास था
तभी तो
वह वक्तव्य
जो उन्होंने मरते हुए किसानों के पक्ष में दिया था
बहुत ही खास था
जिस जगह हो रही थी
वहां एक कौम
अपने इतिहास के हाथों
लहुलुहान अपनी ही किस्मत को रो रही थी
और में चुप था
क्योंकि वहाँ पर सन्नाटा था, ख़ामोशी थी
और अंधेरा बडा ही घुप्प था
और वो आत्महत्या के नवीन संस्करण थे
उनकी आँखों में सपने थे
मगर,उनकी बातों में सेल्फास था
तभी तो
वह वक्तव्य
जो उन्होंने मरते हुए किसानों के पक्ष में दिया था
बहुत ही खास था
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