मंगलवार, 3 जनवरी 2012



       अपने कालेज के दिनों में हमने उस समय एक 'बेचलर क्लब' बना रखा था. हम पाँचों उस क्लब के संस्थापक सदस्य थे. सन 1991 में राजकीय महाविद्यालय अजमेर से स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण कर जिन्दगी के इम्तिहान में भाग लेने के लिए बाहर निकलने के वक्त हम पाँचों की दोस्ती की लोग मिसाल दिया करते थे, ............पर किस्मत कि एक-एक करके सब खत्म हो गया......

       भूपेश को हमेशा हर काम में जल्दी लगी रहती थी इसलिए सबसे पहले उसका ही नम्बर आया. दिसम्बर 1992 में बाबरी मस्जिद  के विवादित ढाँचे को ढ़हाये जाने के बाद सारे भारत में साम्प्रदायिक दंगे होना आम बात थी. 1993 की 12 मार्च को सिर्फ दो घंटे के अन्तराल में मुंबई में क्रमिक रूप से 12 बम धमाके हुए. उस दिन वह ट्रेन से बोरीवाली जा रहा था. उसके शव में उसका चेहरा मिला, धड़ गायब था क्योंकि ट्रेन में बम उसके पाँवों पास ही फटा था.

       हरजिन्दर सिंह एक रिटायर्ड फौजी का बेटा था पर कालेज की पढाई से निपटने के बाद उसका फौज में जाना उसके परिवार को भारी पड गया. 1999 में उसकी कारगिल में पोस्टिंग थी जहाँ पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर ली थी. उनको बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना ने 'आपरेशन फ्लश आउट' चलाया. दुश्मन तो बाहर खदेड़ दिये गये मगर हरजिन्दर का शव जब तिरंगे में लिपट कर ताबूत में रखा हुआ घर वापिस आया तो उसके माँ-बाप को संभालना भारी पड़ गया था.

        जकिया बानो हमारे ग्रूप में घोषित शायरा थी. 2002 में गोधरा कांड के बाद दंगों ने उसकी बलि ले ली. दरअसल वह पूर्व सांसद अहसान जाफरी के मकान गुलबर्गा सोसाइटी के पास ही रहती थी. दंगाइयों से घिर जाने के बाद उसका परिवार पूर्व सांसद अहसान जाफरी के मकान में यह सोचकर चला गया था कि उनके राजनीतिक प्रभाव से उनकी जान बच जायेगी. मगर 28 फरवरी 2002 के उस मनहुस दिन 68 लोगों के साथ वह भी अपने वालिद और अम्मीजान के साथ जला दी गई .

        हमारे ग्रुप का सबसे युवा सदस्य रामफूल गुर्जर 2008 के गुर्जर आंदोलन में शहीद हुआ. उस दिन भरतपुर जिले में 'पीलू का पुरा' में वह आन्दोलन कारियों के साथ था. 23 मई 2008 की सुबह रामफूल गुर्जर के लिए शहादत का पैगाम लेकर आई थी. अपने छात्र जीवन से रामफूल भारतीय सामाजिक व्यवस्था में जाति की असलियत को जानने और समझने की कोशिश में लगा रहता था. यह पता नहीं चला कि उस आन्दोलन के दौरान उसके सिर में गोली पुलिस ने मारी थी या दूसरी जाति के लोगों ने,.....कुछ भी हो उसका भी अन्त भयावह था.

.......बाकी बचा में......
     ...........तो मैनें भी शादी कर ली थी !.........